Posts

Showing posts from September, 2021

ज्योतिषाचार्य पंडित कृष्णा पाण्डेय

*कार्य बंधन मुक्ति के उपाय  〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ गतांक से आगे... 1👉 जिस व्यक्ति की नौकरी किसी बंधन के परिणामस्वरूप नहीं लग पा रही हो, उसे निम्न 7 वृक्षों की मूलों को एकत्रित करना चाहिये। इनकी मात्रा कम-ज्यादा कितनी भी हो सकती है। इन सभी पौधों की मूलों (जड़ों) को एक साथ किसी नायलोन की महीन जालीदार थैली में रख लें। इस थैली को बाथरूम में किसी खूटी अथवा कील पर लटका दें। रोजाना जब स्नान करने जायें, तब इस पोटली को स्नान के जल में 5 मिनट तक पड़ा रहने दें। इसके पश्चात् दूसरे दिन के उपयोग हेतु पुनः सुरक्षित टांग दें तथा इस जल से स्नान कर लें। इस प्रकार से सप्तमूल स्नान 40 दिन तक करने से बंधन समाप्त होता है तथा सम्बन्धित व्यक्ति को सुपरिणाम परिलक्षित होने लगते हैं। जिन सात पौधों की जड़ें लेनी हैं, वे निम्न हैं, इन जड़ों को शुभ मुहूर्त में निकालें तो और भी उत्तम होगा:  (1) अपामार्ग या ओंगा या आंधीझाड़ा,  (2) चंदन,  (3) मौलश्री, (4) अशोक, (5) वट की वायुवीय जड़,  (6) पीपल की जटा तथा (7) गुलतुर्रा । 2👉 बंधी हुई दुकान का बंधन खोलने हेतु रोजाना जब दुकान खोलें तो एक प्लेट मे...

ज्योतिष

अरबिन्द कुमार शास्त्री 9140467707 ज्योतिष परामर्श प्रयागराज हस्त लिखित कुण्डली बनवाने हेतु सम्पर्क करें वैदिक ज्योतिष में सूर्य को शनि का पिता माना गया है लेकिन शनिदेव अपने पिता सूर्य से शत्रु का भाव रखते हैं इसी कारण जब भी कुंडली में इनकी युति होती है तो इनके अशुभ फल जातक को मिलते हैं। इनके आपसी विरोध का अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि जिस राशि मे सूर्य उच्च के होते हैं शनि वहां नीच हो जाते हैं और जहाँ तुला में शनि उच्च के होते हैं वहां सूर्य नीच के हो जाते हैं। इन्हीं कारणों से सूर्य शनि का योग ज्योतिष में काफी बुरे फलदेने वाला बताया गया है। इसका एक कारण ये भी है कि सूर्य जहाँ रौशनी का कारक है वंही शनि अँधेरे का कारक है। रौशनी अँधेरे को खत्म कर देती है इस प्रकार इन दोनों का योग कभी नही हो पाता। एक के खत्म होने पर दुसरे का समय आता है। सूर्य जो कि राजा का कारक ग्रह होता है तो शनि देव को दासत्व का कारक ग्रह माना गया है। सूर्य गेहू होता है तो शनि मांस का कारक ग्रह माना गया है। ऐसे में इंसान यदि गेहू और मांस का सेवन एक साथ करता है तो उसे विभिन्न बीमारियों का सामना करना पड़ जाता है। सू...

jyotish a

*🌷🌺#मेषलग्न में #विशेष_राजयोग🌺🌷* १. #मेषलग्न हो और सूर्य लग्न में अर्थात प्रथम भाव में,गुरु नवम भावगत हो,मंगल दशम भाव में तथा शनि एकादश भाव में हो तो,विशेष राजयोग होता है। २. #मेषलग्न में, लग्न में सूर्य, गुरु चतुर्थ भाव,शनि सप्तम भाव और मंगल दशम भावगत हो तो प्रबल राजयोग का सृजन होता है। ३. #मेषलग्न में सूर्य लग्नस्थ तथा गुरु+चन्द्रमा की युति चतुर्थ भाव में हो तो राजयोग बनता है। ४. #मेषलग्न में सूर्य, चन्द्रमा ४ थे भाव में, शनि ७ वे भाव में होतो,प्रबल राजयोग होता है। ५. #मेषलग्न में सूर्य लग्न में, चतुर्थ भाव में चन्द्रमा तथा १० वे भाव में मंगल हो तो, विशिष्ट राजयोग होगा। ६. #मेषलग्न में सूर्य लग्न में २ रे भाव में चन्द्रमा ५ वे भाव में गुरु हो, ८ वे भाव में मंगल हो, तथा ११ वे भाव में शनि होतो, अतिविशिष्ट राजयोग का सृजन होगा। ७. #मेषलग्न में यदि प्रथम भाव में ही सूर्य हो, ३ रे भाव में बुध, ५ वे भाव में गुरु तथा ८ वे भाव में मंगल हो तो, राजयोगकारी होता है। ८. #मेषलग्न में यदि १२ वे भाव में शुक्र हो तो,यह शुक्र उस जातक को उच्चस्तरीय धनवान बनाता है, तथा मनोवांछित स्त्री को देने वाला ह...